चलो पहाड़ बुलाते हैं
मुस्काने आती हैं, थकाने जाती हैं
सामने जब पहाड़ की वादियाँ आती है,
बर्फ़ की परतें लगी हो , ऐसी ठंड वहाँ हो जाती है ,
चलो जीने ,पहाड़ों की वो वादियाँ हमें बुलाती हैं.....
चलो पहाड़ बुलाते हैं....
शहर की भीड़ मे जीकर, पल पल पहाड़ों की खूबसूरती की याद आती है,
जा रहे अब कदम कुदरत की आड़ में,
चलो जीने पहाड़ों की वादियाँ पहाड़ में.......
पहाड़ों के दामन में सुकून है जो,
वो कहा शहरों के आँगन में,
पहाड़ों की मिट्टी में जो खुशबू,
वो कहा शेहरों के फूलों में,
जहा बादल भी धरती चूमते हैं,
चलो चले पहाड़ों की वो वादियों में जहा देवता झूमते हैं....
चलो पहाड़ बुलाते हैं....
जिंदगी की रफ़्तार में भागती ये दुनिया,
जिंदगी कब तक मानेगी शहर की ये धुए भरी सुबह,
चेहकती - दमकती सुबह सवेरे गोर्रया की आवाज़ से जगती,
ठंड से ठिठुरती, सड़क पर दौड़ रही बिलियों को ताका करती,
हरी हरी टेहनियों से भरा संसार नज़र आ जाता है,
चलो जीने पहाड़ों की वादियाँ ,वहाँ कहीं तालाब कहीं पानी का झरना नज़र आता है.....
चलो पहाड़ बुलाते हैं...
कामयाबी की तलाश में शहर के लिबास में ही रह गए,
शहर की चमक कितनी ही चमके,
पहाड़ों में एक पत्ते पर ओस की बूंद ही हीरा सा दमके ,
वहाँ सड़कों पर गाड़ियों से ज्यादा दौड़ते बच्चों का झुंड नजर आता है,
खेतों में लोगों का वह प्रेम नज़र आता है,
हर मन्दिर और रास्तों का एक अलग इतिहास नज़र आता है,
चलो जीने पहाड़ों की वह वादियाँ जहाँ चिड़ के पेडों से छनता सैलाब नजर आता है....
चलो जीने पहाड़ों को जहाँ बादल धरती चूमते हैं बिना किसी घमंड के, चलो चलकर वहीं कहेंगे हम निवासी हैं उसी देवभूमि उत्तराखंड के......
चलो पहाड़ बुलाते हैं....
🙏🏻Khushi jp verma 🙏
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